...

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ए शाम कुछ बोल
इन वादियों के रुहनियो के
कोई वद तो खोल,

हवाएँ झूम रही है मस्ती में क्यों
दो मीठे बोल तो बोल ।।

क्या ये उनके आने के आभास है
या उनकी मौजूदगी की खुशबू,
ये राज तू इशारे में ही खोल,
ए शाम तू मुझसे बोल ।