माँ
#माँ
सब्र की गागर छलक गयी,भीगा कोना-कोना
क्यूँ करती अब देरी मां,दुनिया ने हैं सब छीना
कब तलक बहलायेगी,छूटे ना आँचल का कोना
किया कोनसा पाप मैने,ममता को तूने हैं छीना
दर्द दिया दुनिया ने,भूल गयी मिला साथ तेरा
कर दे उद्धार मेरा,नहीं अब इस जग में जीना
मुश्किलें ना कर सके दूर तो,साथ ले चल अपने
देख इस संसार को,टूट गया मन का खिलौना
सुन रही है ना तू,अब झांसे में ना आऊँगी
साथ चलूंगी तेरे अब,या साथ मेरे रह जाना
©® #रीना अग्रवाल
सब्र की गागर छलक गयी,भीगा कोना-कोना
क्यूँ करती अब देरी मां,दुनिया ने हैं सब छीना
कब तलक बहलायेगी,छूटे ना आँचल का कोना
किया कोनसा पाप मैने,ममता को तूने हैं छीना
दर्द दिया दुनिया ने,भूल गयी मिला साथ तेरा
कर दे उद्धार मेरा,नहीं अब इस जग में जीना
मुश्किलें ना कर सके दूर तो,साथ ले चल अपने
देख इस संसार को,टूट गया मन का खिलौना
सुन रही है ना तू,अब झांसे में ना आऊँगी
साथ चलूंगी तेरे अब,या साथ मेरे रह जाना
©® #रीना अग्रवाल