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zindagi
कलम ये मेरी आज, यूं
शब्दों से खेली है।
ये जिंदगी भी जाने कैसी,
जानी अनजानी पहेली है।
जन्म मरण के बीच सफर में,
बस एक ठेलम ठेली है।
किसी के पास आसरे को छत नहीं,
पास किसी खाली पड़ी बहोत हवेली है।
बेशक है वो मन तुम्हारा मोहने वाली,पर जाना मेने
इस दुनिया की हर एक चीज मटमेली है।
एक यारी की दास्तां सुनलो हमसे भी, ये
जिंदगी भी मौत की ही सहेली है।
रहे चकित देख हालत खुद मेरे कमरे की ,
लगता जैसे बिन फाग स्याही से होली खेली है।
शायद लिख पाऊं दर्द को अपने आज जो दिए इस जिंदगी ने,
इसीलिए अखियां हमने
भिगोली है।
समझा जो जिंदगी को तो
पाया हमने,
ये करती सबसे अठखेली है।
सुनकर कहानी इस 🅰𝒏𝒅𝒚 की,
मत सोचो नहीं जिंदगी इस जैसी कही भी।
तुम क्या जानो, ये
क्या क्या पीड़ा झेली है।
जिंदगी तो खेलती सबसे,पर
मौत भी इससे खेली है।
इन चार लकीरों वाली किस्मत को बदलेंगे हम,
आज जो इन हाथो ने कलम ले ली है।
कुछ मुस्कुराएंगे देख कविता मेरी, और
कहेंगे की लिखने वाली थोड़ी अलबेली है।
ये जिंदगी भी जाने कैसी
जानी अनजानी पहेली है।।

my new poem 😊
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hr masoom Andy 420
© Andy 420...........