...

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ख्वाहिशों का जाल
ख्वाहिशों के जाल में उलझी सी मैं,
तलाशती हूं ........
वो संजोयी सावन की बूंदे,
बादलों की ओट से झांकती किरण,
दूर जंगल में छलांग मारता वो हिरण,
पतझड़ के बीच वह पहली कोंपल,
तलाशती हूं मैं........