...

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बस कुछ
मेरा शायद सबकुछ वो जाने, जानो मैं उसका बस कुछ
मेरे हर नखरों को वो पहचाने,पहचानो मैं उसे बस कुछ
हर सलाह वो मेरे काम की,सलाह मेरी चले उसपर बस कुछ
देखे "मैं" सपने,उसके सब कुछ,मुझे लगे "वो" सपने बस कुछ

मेरे हर झुठ का सच वो समझे,समझो मैं वो झूठो को सच
मेरे हर्षझरा का पत्ता उससे,ढूंढता आजभी मै जानो बस कुछ
खामोशी उसपर असवार हो, कहता...