अंधेरा
रोशन की आग अंधेरा है
खाक छानती बस एक परिंदा है
सुबह की थाली बस एक निंदा है
रात की थाली भूख की शर्मिंदा है
रोशन की आग अंधेरा है
चाहत की भूत शर्मिंदा है
घुटन साड़ी के अंदर कोई जिंदा है
जिस्म बिक रहा सरेआम और तमाशा जिंदा...
खाक छानती बस एक परिंदा है
सुबह की थाली बस एक निंदा है
रात की थाली भूख की शर्मिंदा है
रोशन की आग अंधेरा है
चाहत की भूत शर्मिंदा है
घुटन साड़ी के अंदर कोई जिंदा है
जिस्म बिक रहा सरेआम और तमाशा जिंदा...