...

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वक्त/waqt
वक्त

इतनी मिठास से वक्त गुजारा उसने
की जाने से घर में चीटिया हो गई
पोछती रही बदन को मैं अपने
वक्त की मिठाई मानो खत्म हो गई

बिना कुछ कहे वो साथ था बैठा
चुप चाप सी मैं खड़ी हो गई
देखा जब उसके साथ में वक्त को
पाने की हदें सब पार हो गई

चिकनी चुपड़ी बातें करके
वक्त की चाह तमाम हो गई
रात को जाके सुबह को वो लौटे
जैसे चांद से सूरज की मुलाकात हो गई

कहती रही इंतजार न कर मेरा
उसकी ज़िद और आगाज़ हो गई
चाहता रहा टूट कर वो मुझे
बस वक्त की सीमा बेईमान हो गई
© firkiwali