...

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कदम

चल पड़े हम,
लेके हाथ मे रम।

सिने मे कई गम,
जेब मे अठन्नियां कम।

है इतने जखम,
कि अब काम न करती कोई दवा, दुआ, या रसम।

दि है किसीको कसम,
वरना करदे थे जिंदगी भसम।

नहि कोई सनम,
ये कैसा सितम।

आँखें हैं नम,
न बाहुहो में दम,
फिर भी जिंदगी में बड़ा रहे है कदम।

© Rohit