विगत वर्ष को भूलकर,
विगत वर्ष को भूलकर,
तुम आए हो पंछी इस नवल ऋतु के आंगन में,
तुम यूं ही न समझना पराया उसे।
धूप छांव की कसौटी पर,वह...
तुम आए हो पंछी इस नवल ऋतु के आंगन में,
तुम यूं ही न समझना पराया उसे।
धूप छांव की कसौटी पर,वह...