यश!
माँ की ममता है तू
विलक्षण क्षमता है तू
रब का बंदा है तू
फिर क्यों शर्मिंदा है तू
तेरे सर पर रहमत है उस रब का
ख़ुशियाँ जो बाँटे तू वो क़ामयाब...
विलक्षण क्षमता है तू
रब का बंदा है तू
फिर क्यों शर्मिंदा है तू
तेरे सर पर रहमत है उस रब का
ख़ुशियाँ जो बाँटे तू वो क़ामयाब...