...

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तेरी तस्वीर से बात कर लेता हूँ
तू पास न हो मेरे तो तेरी तस्वीर से बात कर लेता हूँ ,
तेरी तस्वीर के सामने हाल-ए-दिल बयाँ कर देता हूँ।

तुझसे तो भली तेरी तस्वीर है, ख़ामोशी से सब सुन लेती है,
उससे डर नहीं लगता, सारे गिले-शिकवे उसी से कर लेता हूँ।

मेरी बात पसंद न आए तो भी वो तकरार नहीं करती,
मैं उसे अपना दर्द सुनाकर दिल को हल्का कर लेता हूँ।

मेरी हमदर्द है तेरी तस्वीर, मैं कुछ भी कहूँ ख़फ़ा नहीं होती,
अगर क्रोध में रहता हूँ तो उसे खरी-खोटी भी सुना देता हूँ।

वो कभी पलटवार नहीं करती, मेरी मनोदशा को समझ लेती है,
तुझसे ज़्यादा प्यारी है तेरी तस्वीर, उसे सीने से लगा लेता हूँ।

© दुर्गाकुमार मिश्रा