...

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आखिरी मुलाकात

हमारी वो आख़िरी मुलाकात थी,
शायद खुशियों की वो आख़िरी बरसात थी।
'ख़ुश रहना हमेशा', मुझसे उस रोज
कही गई यही तो सनम! तेरी आख़िरी बात थीं।

छूट रहा था, मेरे हाथों से तेरा हाथ,
कभी ना भुलाने वाली हमारी, वो मुलाकात थी,
धड़कनों के साथ सांसें चल रही थी,
फिर भी मौत से भी बत्तर हमारी हालात थीं।

आँखें आख़िर तक तेरे दीदार को
बेताब थी, इसलिए ही शायद अश्क थम गए,
आख़िरी तोहफ़ा के रूप में हम
एक दूसरे के पास अपने धड़कनों को छोड़ गए।

समय की बरसात ने हर ज़ख्म को बह दिए,
लेकिन यादें अल्फ़ाज़ बनकर कागज़ में उतर गए,
जुदाई के बीज ने मोहब्बत के बाग़ को
उगाया और मुकम्मल मोहब्बत के फूल खिल गए।
©हेमा