...

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दिल दुरी सह नहीं पाता
मै तुमसे कभी ये कह नहीं पाता,
बिन तेरे अब रह नहीं पाता,
बड़ा अजीब सा हाल है दिल का,
पागल दुरी सह नहीं पाता,

हर रोज़ घर से निकालता हुँ,
मैं बस तुमसे ही मिलने को,
ज़ब पास तुम्हें पाता हुँ तो,
चाहता हुँ बाहों मे भरने को,

पर क्या करू मज़बूरी हैं,
मैं अभी तो ऐसा कर नहीं पाता,
बड़ा अजीब सा हाल हैं दिल का,
पागल दुरी सह नहीं पाता,

चाहता हूँ तुम मिलो कही एकांत सुहानी शाम तले,
बस मैं और तुम बैठे हो वहां, और ठंडी ठंडी तान चले,

और वहाँ तुम्हें सीने से लगाकर,फिर इतना प्यार करूँ ,
जितना इस दुनिया का कोई प्रेमी अपनी प्रेयसी से ना कर पाता,

बड़ा अजीब सा हाल हैं दिल का,
पागल दुरी सह नहीं पाता
© Vk