...

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सूरज ढल चुका था
सूरज ढल चुका था
फूल मुरझा चुके थे
दिल तैज़ी से धड़क रहा था
मन में कुछ उलझन सी थी
दिमाग में कुछ चल रहा था
मां बिमार थी, पिता काम पर थे
बहन अपना दुख बयान कर रही थी,
भाई अपना दर्द संभाल रहा था...

नया सूरज उगने को था
फ़ूल खिल रहे थे
दिल की धड़कनें अपनी सही रफ्तार पर थी
मन की उलझन कुछ नई उलझनों के साथ सुलझने की कोशिशों में थीं
मां ठीक थीं, पिता लौट चुके थे
बहन और भाई खुश थे,
क्योंकि अब कहीं और सूरज ढल चुका था
कहीं और फूल मुरझा चुके थे
किसी और का दिल तेज़ी से धड़क रहा था


Above poem is explaining some critical situations in our life.
Every person has problems in his or her life but it depends on that how they face it.
© Navi