इंसानियत
जाने क्यूं , अब शर्म से ,चेहरे गुलाब नहीं होते ।
जाने क्यों अब वो फरिश्ते नदारत नहीं होते ।
जिनको हम कभी दादी नानी के किस्से कहानियों में सुना करते थे , आज वो क्यों कही दिखाई नहीं देते ।
अब पालघर में दो साधुओं की हत्या ही ले ले , क्यों तब हमें हमारा ज़मीर आवाज़ नहीं देता । क्या वो हमारे जाती या धर्म के नहीं थे , इसलिए हमने किसी को हत्या करने से उधर रोका नहीं था ।
निर्भया भी किसी...
जाने क्यों अब वो फरिश्ते नदारत नहीं होते ।
जिनको हम कभी दादी नानी के किस्से कहानियों में सुना करते थे , आज वो क्यों कही दिखाई नहीं देते ।
अब पालघर में दो साधुओं की हत्या ही ले ले , क्यों तब हमें हमारा ज़मीर आवाज़ नहीं देता । क्या वो हमारे जाती या धर्म के नहीं थे , इसलिए हमने किसी को हत्या करने से उधर रोका नहीं था ।
निर्भया भी किसी...