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भ्रष्टाचारी जगत में, काले धन के राजा।विश्वास की मृत्यु है, इसका बदला।
भ्रष्टाचारी जगत में, काले धन के राजा।
विश्वास की मृत्यु है, इसका बदला।
लालच की आग में जलते, इनके मन में तड़प।
मानवता की मर्यादा को, धृष्टता से चढ़ाते हैं ये बाप।
भ्रष्टाचार के भीषण रूप से लहराते हैं राज्य।
सच्चाई और ईमानदारी, बनी रहती है सद्यों की आस्तित्व की यात्रा।
इन दुष्टों का खेल है, बदले में धन की पात्रता।
व्यक्तिगत लालच को, उठाते हैं मानवता की पीठ पर हाथ।
देश की गरिमा को खोते, इन अवैध करोबारी।
जनता के स्वार्थ के लिए, बनाते हैं व्यापारी।
संविधान की मान्यता से, ऊँचाईयों पर उठते हैं कदम।
इन दुष्टों की वजह से, देश के विकास की रुकती है कदम।
भ्रष्टाचार के अंधकार में, टूटती है सबकी आसा।
न्याय की मृत्यु है, इस दुष्टता का अंका।
उद्यम, योग्यता, और मेहनत का कोई मोल नहीं,
केवल चोरी के सामान में, ख़ुशहाली खोजते हैं ये लोग बहुमूल्य चीजों में
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