...

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तुम थे क्या पास? नहीं, तुम कभी नहीं थे..
पास रहकर भी किया था इंतज़ार तुम्हारा,
लफ़्ज़-लफ़्ज़ पे किया था ऐतबार तुम्हारा,
तुम्हारे साथ की रही जब भी ज़रूरत मुझे,
तुम थे क्या पास? नहीं, तुम कभी नहीं थे।

चाहत पूरी की तुम्हारी फ़रमाइश से पहले,
पूछी बात-बात में मर्ज़ी आराइश से पहले,
बेहाल लम्हों में पूछने चाहिए थे जब हाल,
तुम थे क्या पास? नहीं, तुम कभी नहीं थे।

भरा नहीं है अभी भी...