...

9 views

🖤____
किसी को रुलाकर कोई
क्या कभी हंसता है
किसी का घर उजाड़ कर
किसी का घर बसता है
कर देते है बदनाम
एक आम से नाम को
कभी सोचा लोगो का
जमीर कितना सस्ता है
तुम्हारे पास बहारें है
कारे है नजारे है
मेरे पास क्या है दीप
बस शब्दों का गुलदस्ता है
सारे जग को मालूम है
तेरी हालत खस्ता है
फिर आया है मेरे घर की तरफ
उसे कहो और भी रस्ता है
सांप तो बदनाम है यारो
आदमी आदमी को डसता है
अपने जाल ही बुनता है
अपने जाल में फसता है
किसी को रुलाकर कोई
क्या कभी हंसता है
किसी का घर उजाड़ कर
किसी का घर बसता है

© दीप