12 views
मेरी आस
मूक हो गए हैं वो,
कुछ न कहते हैं वो,
शरमाए, सकुचाऐ से,
रहते हैं वो,
लगता है डर,
कहीं दूर,
चले न गए हों वो।
इंतज़ार कर रहे,
अभी भी नयन,
थमने सी लगीं हैं सांसे,
विरह में,
शिथिल सा होने लगा बदन।
मगर है मन में ,
जगमगाती एक आस,
मानवता की वो मूरत,
ईश्वर की वो अमूल्य कृति,
देखकर मेरे पावन प्यार को,
और मेरे इस इंतजार को,
नहीं करेगी मुझे निराश।
लगाता हूं हर रोज अरदास,
क्योंकि आज भी मुझे है विश्वास,
देखकर मेरा निश्चल प्यार,
और मेरा अथक इंतजार,
कर के मीलों पार,
वो आ जाएगी मेरे पास।
#writcopoem #meravishvaas#truelove
© mere alfaaz
कुछ न कहते हैं वो,
शरमाए, सकुचाऐ से,
रहते हैं वो,
लगता है डर,
कहीं दूर,
चले न गए हों वो।
इंतज़ार कर रहे,
अभी भी नयन,
थमने सी लगीं हैं सांसे,
विरह में,
शिथिल सा होने लगा बदन।
मगर है मन में ,
जगमगाती एक आस,
मानवता की वो मूरत,
ईश्वर की वो अमूल्य कृति,
देखकर मेरे पावन प्यार को,
और मेरे इस इंतजार को,
नहीं करेगी मुझे निराश।
लगाता हूं हर रोज अरदास,
क्योंकि आज भी मुझे है विश्वास,
देखकर मेरा निश्चल प्यार,
और मेरा अथक इंतजार,
कर के मीलों पार,
वो आ जाएगी मेरे पास।
#writcopoem #meravishvaas#truelove
© mere alfaaz
Related Stories
16 Likes
11
Comments
16 Likes
11
Comments