...

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मेरी आस
मूक हो गए हैं वो,
कुछ न कहते हैं वो,
शरमाए, सकुचाऐ से,
रहते हैं वो,
लगता है डर,
कहीं दूर,
चले न गए हों वो।
इंतज़ार कर रहे,
अभी भी नयन,
थमने सी लगीं हैं सांसे,
विरह में,
शिथिल सा होने लगा बदन।
मगर है मन...