सन्नाटा
अंधेरा ही अंधेरा है जिधर देखूं
डर रही हूं आखिर किधर देखूं।
कभी लगता है,
सन्नाटा पसरा है हर ओर
कभी हर तरफ सुनती हूं
बस शोर ही शोर।
कभी दिल करता है,
दिल खोलकर रख दूं
कभी लगता है...
डर रही हूं आखिर किधर देखूं।
कभी लगता है,
सन्नाटा पसरा है हर ओर
कभी हर तरफ सुनती हूं
बस शोर ही शोर।
कभी दिल करता है,
दिल खोलकर रख दूं
कभी लगता है...