बुलंद था तिरंगा और खास हो गया
सो कर उठा चांँद,उदास हो गया
सिमट कर तारों के पास हो गया
घूरता था हर पल वो बड़ी दूर से
नागहां आज बदहवास हो गया
चमका था जो फलक की ओट से
बदन का उजला लिबास...
सिमट कर तारों के पास हो गया
घूरता था हर पल वो बड़ी दूर से
नागहां आज बदहवास हो गया
चमका था जो फलक की ओट से
बदन का उजला लिबास...