...

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माया
माया

घनघोर जंगल फैला है,
पंथी को मिलता धाम नहीं,
मन भी तो सबका मैला है,
कहीं भी अब आराम नहीं।

सर चढ़ कर बोले है माया,
चारों ओर फैला जंजाल है,
खोखला जीवन...