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हर मंजिल पाना है जंजीरों को तोड़ कर
#जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
आशाओं का जादर ओढ़ कर
तिनका तिनका बिखरा स्वपन
करेंगे पूरा सब जोड़ कर
न छोड़ेंगे राह डट कर चलेंगे
अब तू चाहे जितना भी शोर कर
हो जाए खफा ये सारी दुनिया
जाएं सभी ही छोड़ कर
न कर फिक्र तू चलता जा
पाना है लक्ष्य ये संकल्प कर
होगा सफल जब इक रोज़ तू
आएंगे सभी फिर लौट कर
हां पाना है मंजिल इक रोज़ ही
इन जंजीरों को तोड़ कर
© rupali shrivastav
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम
आशाओं का जादर ओढ़ कर
तिनका तिनका बिखरा स्वपन
करेंगे पूरा सब जोड़ कर
न छोड़ेंगे राह डट कर चलेंगे
अब तू चाहे जितना भी शोर कर
हो जाए खफा ये सारी दुनिया
जाएं सभी ही छोड़ कर
न कर फिक्र तू चलता जा
पाना है लक्ष्य ये संकल्प कर
होगा सफल जब इक रोज़ तू
आएंगे सभी फिर लौट कर
हां पाना है मंजिल इक रोज़ ही
इन जंजीरों को तोड़ कर
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