...

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गीत गगन के गाएंगे।
उड़ते पंछी नीलगगन के,
सपने दिखला जाएंगे।
धरती पर भी रहकर हम तो,
गीत गगन के गाएंगे।

आशाएं हैं आसमान सी,
धरती है बुनियादों में।
सपने देखें खूब सुनहरे,
हम मजबूत इरादों में।

तक़दीरों की हम पतंग को,
अंतरिक्ष ले जाएंगे।
धरती पर भी रहकर हम तो,
गीत गगन के गाएंगे।

रोक नहीं पाएंगीं हमको,
क्षणभंगुर अभिलाषाएं।
कठिन डगर के हम राही हैं,
हम पर्वत से टकराएं।

मंजिल दूर भले हो लेकिन,
इक ना इक दिन पाएंगे।
धरती पर भी रहकर हम तो,
गीत गगन के गाएंगे।

एक रक्त है , राष्ट्र भक्त हैं,
कैसी जाति धर्म कहां।
सत्य, सनातन धरा हिन्द की
सर्वोपरि है कर्म यहां।

काश्मीर से कन्याकुमारी ,
स्वर समवेत सजाएंगे।
धरती पर भी रहकर हम तो,
गीत गगन के गाएंगे।
© 💕ss
© 💕Ss