एक बार फिर हम हैं उठे......
अपने भी रुठे दिल भी टूटे
न जाने कितनी ही बार
फिर भी हम लिए खड़े है सुई धागे
सिल कर फिर तैयार किए हैं,
प्रतीक्षा है कि दिल फिर से टुटे
एक बार फिर हम हैं उठे...,........
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न जाने कितनी ही बार
फिर भी हम लिए खड़े है सुई धागे
सिल कर फिर तैयार किए हैं,
प्रतीक्षा है कि दिल फिर से टुटे
एक बार फिर हम हैं उठे...,........
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