...

0 views

पन्नू की दास्तान में हमारी कहानी
चुलबुली सी हुआ करती थी वह
हमें सपनों के बारे में सोचा करतीथी
आंसू आए भी तो छुपा लेती थी हंस के दिखा देतीथी
सभी से बहुत स्नेह करती थी
संग में रहती थी
कभी ना कुछ दर्शाती थी
बिन बोले बहुत कुछ कहना चाहती थी उन नयन बेचेन सपनों मैं क्या क्या देखी थी
नेक सभी क्या हाल बोल रही
हमेशा अपना कार्य कर सभी के लिए समय निकलती थी
फिर अपना समय से वह उठी जाती थी
घर का भी सारा कार्य विद्यालय जाकर पढ़ती थी
दिन ऐसे बीते गए हो अभी से विद्यालय में गई
पर उसकी मुलाकात हुई वह विद्यालय के कुछ सखियों से हुई और उसकी सखी भी थी
साथ-साथ मिलते पढ़ने और साथ ही बातें करते थे घूमते थे
बहुत दिक्कत है ए पढ़ाई में
कभी शिक्षक ना आते तो कभी समय का मूल्य ही ना जानती थे पैसों से तोला जाता था हमारा भविष्य
हम सखियों ने लगाया कुछ जुगाड़
संगम पढ़े और वहां से अच्छी पास होकर उच्च महाविद्यालय में दाखिला लिए
हम विभागों में बट गए उच्च पढ़ाई के लिए स्वीकार कर लिया
अब रोज आया जाया करते थे
शुरुआत में हमें कुछ समझ ना आया कैसे है यह सारी दिनचर्या,
कुछ दिन बीते हम सभी साथ साथ आने लगे तो समय से सभी सूचियां को ध्यान दिया उसके हिसाब से कक्षाएं में उपस्थित हुई।
बहुत कुछ परिवर्तन आया हमारे जीवन में
महत्वपूर्ण बातें वहां से सीखने को मिले और अपना भविष्य कैसे उज्जवल बनाया जाता है स्वाभिमान के साथ यह भी सिखलाया
जब भी हमारी कक्षा आए नहीं...