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बात गहरी है जरा, किसी का शुक्रिया!
कहानी अक्सर सच्चाई से ही जन्म लेती है ,यह जरूरी नहीं हर सच्चाई कहानी ही होती है!
आकांक्षाएं बहुत थी उस छोटे से दिल में, आशाएं कहां टिकी उसमें ,शीर्ण हो गई वह पल भर में।
वह नन्हे कदम अब बड़े हो रहे थे ,न जाने कैसे ,पढ़ाई की ओर बढ़ रहे थे।
भागी वह स्कूल की ओर ,
मां पा की उंगली छोड़,
यहाँ से शुरू हुआ उसकी जिंदगी का एक अहम व नया मोड़!
बेखबर इस खबर से पैर थक भी जाएंगे, तो भी अब रुक नहीं पाएंगे,

उस दिल को दिमाग से कहां ही खेलना आता था,
दोस्त बनना और बनाना काम यह भी बड़ा सताता था।
गुस्ताखी बस इतनी ही थी की शोर में उन्होंने खामोशी ढूंढ ली थी
हां एक दो साथी तो थे,
साथ दे ही देते थे वे,
फर्क इतना है आज जो है वह वक्त देते हैं!
बदले में पता नहीं क्यों?
पर कुछ नहीं लेते है!

चांद बनने की ख्वाहिश कहां थी उन्हें!
पर रोशनी की तलब जरूर थी उन्हें, उसने चाहा था हर बार आगे जाना ,
पर आता ही नहीं था ,सहपाठियों की बातें सहपाना !
सीख सीख कर आज भी वह सीख रही है, ...