रहमो करम नहीं रखती
लौटा देती हूं बड़ी अदब से जनाब
मैं किसी का रहमो करम नहीं रखती
दे जाए नफरत भी सलीके से कोई
फिर ज़हन में कोई भरम नहीं रखती
रखती...
मैं किसी का रहमो करम नहीं रखती
दे जाए नफरत भी सलीके से कोई
फिर ज़हन में कोई भरम नहीं रखती
रखती...