...

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**रात का रहस्य**
चाँदनी रात, सन्नाटा चुराए,
साए खड़े हैं, कोई आह सुनाए।
हवा की सरसराहट में है कुछ बात,
सिरहन दे जाती, ये खामोश रात।
चमकती आँखें, अंधेरों में बसीं,
सपनों में खोई, पर हकीकत खासी।
रात की चादर में छुपे हैं राज,
दिल की धड़कन, जैसे हो साज।
कभी गूंजती है, खौफनाक चीख,
कभी सुनाई देती, परछाइयों की भीख।
नींद से बेताब, सब कुछ है बुरा,
इस रहस्यमयी रात को , सन्नाटे ने हरा।
कदमों की आहट, चलती है पास,
सिर पर खड़ी है, एक अदृश्य आस।
रात का ये मंजर, है भयावह खेल,
किसका है साया, क्या है इसका मेल?
एक चांदनी जो डरावनी लगे,
इस रात के राज़, सबको सुलगाए।
सुनो ध्यान से, ये रात है खास,
हर सन्नाटे में छुपा है एक अहसास।

Written By,
Ivan Edwin
Pen Name - Maximus.
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