हरि कृपा
मन तू काहूं से काहे डरे।
ध्याउ वाहि प्रभु को हिय से, जो सब दुख पीर हरे।
मित्र सुदामा लागि जगत हरि, नंगे पग दौड़ पड़े।
भक्त प्रह्लाद की प्राण बचायो, नरसिंह...
ध्याउ वाहि प्रभु को हिय से, जो सब दुख पीर हरे।
मित्र सुदामा लागि जगत हरि, नंगे पग दौड़ पड़े।
भक्त प्रह्लाद की प्राण बचायो, नरसिंह...