...

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एक शाम खुद के साथ
क्यों ना आज की शाम खुद के साथ बिताई जाए, कुछ फुर्सत के पलों को क्यों ना खुद के नाम किया जाए, सब के साथ तो हर रोज़ बैठेते हैं, क्यों ना आज कुछ पल खुद के साथ बैठा जाए ,क्यों ना आज एक चाय का कप खुद के साथ पिया जाए, क्यों ना आज की शाम अपने नाम की जाए.
सब की तो हर रोज़ सुनते हैं क्यों ना आज अपने दिल की सुनी जाए, क्यों ना आज की शाम खुद के साथ बिताई जाए,
क्यों ना शाम की इस हवा को बंद आँखों से महसूस किया जाए ये हवा जो मेरे चेहरे को छू कर जाती हैं और एक मुस्कुरहाट दे जाती हैं क्यों ना इस मुस्कुरहाट के पलों को जिया जाए, क्यों ना एक शाम अपने नाम की जाए,
कुछ बातें क्यों ना आज खुद से की जाए कैसी हो यह सवाल आज खुद से पूछा जाए, तुम खुश तो हो यह सवाल क्यों ना आज खुद से पूछा जाए, क्यों ना आज इस पल सिर्फ खुद के लिए जिया जाए, क्यों ना एक शाम खुद के नाम की जाए.
© नेहा शर्मा