एक शाम खुद के साथ
क्यों ना आज की शाम खुद के साथ बिताई जाए, कुछ फुर्सत के पलों को क्यों ना खुद के नाम किया जाए, सब के साथ तो हर रोज़ बैठेते हैं, क्यों ना आज कुछ पल खुद के साथ बैठा जाए ,क्यों ना आज एक चाय का कप खुद के साथ पिया जाए, क्यों ना आज की शाम अपने नाम की जाए.
सब की तो हर रोज़ सुनते हैं क्यों ना आज अपने दिल की सुनी जाए,...
सब की तो हर रोज़ सुनते हैं क्यों ना आज अपने दिल की सुनी जाए,...