13 views
हकीकतों के जाम
आ,लिखें निबंध,
करें बात हों कैसे संबंध?
खट्टे मीठे अनुभव,
कभी संभव कहीं असंभव।
इंसानियत से दूर,
घमंड,तृष्णा में होके चूर।
अक्सर भूल जायें,
दुनिया केलिए बस निभायें।
कड़वी शिक्षा देते,
कहें चक्रव्यूह कैसे भेदते?
होते नहीं महसूस,
छलनी करें मन,थे मनहूस।
पिला रहे थे जाम,
तल्ख हकीकत की शाम।
संग मिले हरकदम,
हौसलों के नाते बन हमदम।
© Navneet Gill
करें बात हों कैसे संबंध?
खट्टे मीठे अनुभव,
कभी संभव कहीं असंभव।
इंसानियत से दूर,
घमंड,तृष्णा में होके चूर।
अक्सर भूल जायें,
दुनिया केलिए बस निभायें।
कड़वी शिक्षा देते,
कहें चक्रव्यूह कैसे भेदते?
होते नहीं महसूस,
छलनी करें मन,थे मनहूस।
पिला रहे थे जाम,
तल्ख हकीकत की शाम।
संग मिले हरकदम,
हौसलों के नाते बन हमदम।
© Navneet Gill
Related Stories
19 Likes
4
Comments
19 Likes
4
Comments