आलिंगन
जब लगने लगे एकाकीपन
तो
सुनो सखा,
नदी, पहाड़,झरनों का
तुम आलिंगन कर लेना
जब भी उदासी छाने लगे
ठंडी बयारों संग बह लेना
लगने लगे जब कठिन जीवन
फूलों में जा कर बस जाना
कांटों में महकती कलियों के संग
तुम भी खुल कर मुस्काना
जब लगने लगे स्वार्थी सारा जग
तब खुद को समर्पित कर देना
कोई काम ना आए तुम्हारे तो
तुम खुद...
तो
सुनो सखा,
नदी, पहाड़,झरनों का
तुम आलिंगन कर लेना
जब भी उदासी छाने लगे
ठंडी बयारों संग बह लेना
लगने लगे जब कठिन जीवन
फूलों में जा कर बस जाना
कांटों में महकती कलियों के संग
तुम भी खुल कर मुस्काना
जब लगने लगे स्वार्थी सारा जग
तब खुद को समर्पित कर देना
कोई काम ना आए तुम्हारे तो
तुम खुद...