...

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कश्मकश
ऊब गई जीवन से आ ले जा उसे,
जिस जहां मिले खुशी तू छोड़ आ उसे

अश्कों ने भी दामन छोड़ दिया उसका,
न जाने किस गली में था उसका बसेरा।

वक्त ने भी निचोड़ा हरदम उसे,
जहां पड़ी जरूरत छोड़ा अकेला उसे,

दबायी जाती रही आवाज़ उसकी,
की किसी ने न परवाह ही कभी,

न जाने किस बात का डर सताता...