ठहरी हुई घड़ी
#जमीहुईघड़ी
मैं हूँ एक घड़ी, पर ठहरी सी,
वक़्त की धारा से अलग खड़ी सी।
सुइयाँ मेरी हैं थमी हुई,
टिक-टिक की धुन अब बिखरी हुई।
सदी से हूँ मैं मौन खड़ी,
किसी के इंतज़ार में, पर कब से पड़ी।
हर पल को देखा, हर सांस सुनी,
पर खुद को न कभी कहीं...
मैं हूँ एक घड़ी, पर ठहरी सी,
वक़्त की धारा से अलग खड़ी सी।
सुइयाँ मेरी हैं थमी हुई,
टिक-टिक की धुन अब बिखरी हुई।
सदी से हूँ मैं मौन खड़ी,
किसी के इंतज़ार में, पर कब से पड़ी।
हर पल को देखा, हर सांस सुनी,
पर खुद को न कभी कहीं...