...

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झूटी मुस्कान
कुछ पलों के तकाज़ा
न जाने कितनी जंग लड़ता
अफ़सोस इस बात का
की क्यो अपनो को दूर करता
हाल न पूछता कोई
न फ़िक्र किसीको हमारी
दो पालो में ही थम गई ये ज़िन्दगी हमारी
सबसे छुपाने लग गए थे
न जाने हम क्यो खुद को
झूटी मुस्कानों के पीछे
खो दिया था खुदको
जनता न हमे कोई
यकीन उस झूटी मुस्कान पर
दिखते थे खुश हम
पर भीतर से थे उदास हम
-Dark Rose

© Dark Rose