world menstrural hygiene day
माँ आस्तिक है
और मैं नास्तिक
ये भेद सुबह की आरती में
खुलता है रोजाना
जब माँ पूजा करती है
मैं तकिये से कान ढक लेती हूँ
लेकिन फिर भी
पड़ोस कि लड़कियों कि तरह
मुझे एक निश्चित वक्त पर
आचार खाने-छुने की...
और मैं नास्तिक
ये भेद सुबह की आरती में
खुलता है रोजाना
जब माँ पूजा करती है
मैं तकिये से कान ढक लेती हूँ
लेकिन फिर भी
पड़ोस कि लड़कियों कि तरह
मुझे एक निश्चित वक्त पर
आचार खाने-छुने की...