...

15 views

विदाई
शादी के बंधन में जब बेटी बंध गई
बाबुल के आंखों में बस यादे रह गई
जो अश्क छुपें थें वो अब दिखने लगें
विदाई के मंज़र पर पिता की आंखें बह गईं
अश्क बहातीं वो आगोश में गईं पिता के
आंखें उस बेटी की सारे जज़्बात कह गईं
मां के आंचल को अब तक पकड़े चली थीं
अब छोड़ उसको वो नए सफ़र पर बह गईं
रोती आंखें भाई की जो कभी लड़ा करता था
उसकी आंखें भी आज बेतहाशा बह गईं

बाबुल के आशियाने को छोड़कर
यादें देकर और यादें लेकर विदा हुईं
सालों जिसके आंगन में शोर था उसका
उस पिता के आंगन से वो जुदा हुईं

जिसने ये रीत बनाईं होंगी
शायद आंखें उसकी कभी ना रोई होंगी
समझ पाता वो इस गहरे जज़्बात को
पर शायद उसने अपनी बेटी ना खोई होंगी

-उत्सव कुलदीप









© utsav kuldeep