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शहर vs गांव. Part-1
माना कि अब मैं गांव से निकल कर आकर बस गया हूं शहर।
इस का मतलब यह नहीं की गांव का बुराई करूं हर-पहर।।

हालात मुझे शहर ले आया क्योंकि गांव में नहीं था कोई भी रोजगार।
शहर में आकर पता चला कि शहर में पहले से ही मचा हुआ है हाहाकार

शहर मे स्थित कारखानो कि धुआँ से हो जाता सर्दी खांसी ज़ुकाम।
पर गांव की हरियाली देख कर खत्म हो गया बिमारीया तमाम।

शहर में बड़ी-बड़ी इमारत होती और रहती है 24 धंटे बिजली।
इसलिए गांव की जमीन बेचकर, लोगों कों शहर में बस जाने की होती है खलबली।

बिल्कुल यह झूठ बात है कि शहर मे पढ़-लिख कर बच्चों होते हैं बहुत बड़ा बिद्वान।
क्योंकि अखबार मे छपता है कि पुरी जिला मे किसान का बेटा उत्तीर्ण हुआ है देकर इम्तिहान।

शहर मे रहो या गांव में रहो जन्म-भूमि से रखो हमेशा
लगाव।
क्योंकि इंसान कितना भी लंबा क्यों ना हो जाए जमीन पर ही रहता है उसका पांव

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