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#बहुत कुछ करते अगर कर पाते#
हाथों खुदा के न मजबूर हो जाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
पुराने सफर को सुहाना बनाते
झील किनारे हम रातें बिताते
छोटे से घर को आशियाना बनाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
अंधेरे से लड़ते नई लौ जलाते
मीठी सी निदिया में सपने सजाते
बैठ कर बगिया में हंसते हंसाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
न होता ज़माना न आशिक कहाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
पुराने सफर को सुहाना बनाते
झील किनारे हम रातें बिताते
छोटे से घर को आशियाना बनाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
अंधेरे से लड़ते नई लौ जलाते
मीठी सी निदिया में सपने सजाते
बैठ कर बगिया में हंसते हंसाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
न होता ज़माना न आशिक कहाते
बहुत कुछ करते अगर कर पाते।।
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