...

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इक पल का इश्क
इश्क की नजर ने आज इश्क को देखा
था सुना मैंनें जैसे , कोई हूर देखा
थी पलकें झुकाए , हया को दिखाए
करीने से,जुल्फों की, लटों को लहराए
जो कहना था होठों से ,आंखों से कह जाए
मैं ठहरा मासूम, मेरा दिल बैठा जाए
पर हसरत भी थी ,कि बात आगे बढ़ जाए
तभी फोन मेरा,घर का नंबर दिखाए
फिर मैैने सोचा,ये मीटर की दूरी ,मीलों में बदल जाए
इश्क की ...............


© Danish 'ziya'