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मौसम
मेरे मिजाज़ पे मौसम का पहरा लगता है
आज कल वो दूर है उनसे इश्क़ गहरा लगता है!
की उनके आने से सब रास्ते रंगीन हो गए
ज़मी पे उतरा वो सितारा प्यारा लगता है!
बहुत संभल कर साथ चलना है उनके
कोई दूर न कर दे रिश्ता इतना गहरा लगता है !
या खुदा आने को है कई मंजर अभी बेखौफ
पिया का रंग कायनात लगता है!
ये क्या बला है जो खुद हो गई
हर जवाब पे ज़िक्र उनका लगता है!
इक शख्स में पूरा चांद है देखना
वो दूर है नजरों से इसलिए हमारा शहर अब बेगाना लगता है!
आज कल वो दूर है उनसे इश्क़ गहरा लगता है!
की उनके आने से सब रास्ते रंगीन हो गए
ज़मी पे उतरा वो सितारा प्यारा लगता है!
बहुत संभल कर साथ चलना है उनके
कोई दूर न कर दे रिश्ता इतना गहरा लगता है !
या खुदा आने को है कई मंजर अभी बेखौफ
पिया का रंग कायनात लगता है!
ये क्या बला है जो खुद हो गई
हर जवाब पे ज़िक्र उनका लगता है!
इक शख्स में पूरा चांद है देखना
वो दूर है नजरों से इसलिए हमारा शहर अब बेगाना लगता है!
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