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आंखे।
आंखो पर निसान पड़ने लगे है।
आसुओं से काजल बहने लगा है।
जिस कांधे पर सिर रख कर सोया करते थे।
उसी कांधे पर बोझ सा लगने लगा है।
हसरतें कई टूटने लगी है
चाहते कहीं रूठने लगा है।
इस दीवारों में हम कैद ना होते।
बिछड़े हम अपने ही रूह से, हमें दूर सा लगने लगा है
आंखो पर निसान पड़ने लगे है।
बेवफा देखा है फिर एक बार मुड़ कर।
अब मरने से डर सा लगने लगा है।।
आंखो पर निसान पड़ने लगे है।
आसुओं से काजल बहने लगा है।
narrated by Vishu 🖊️
© All Rights Reserved
आसुओं से काजल बहने लगा है।
जिस कांधे पर सिर रख कर सोया करते थे।
उसी कांधे पर बोझ सा लगने लगा है।
हसरतें कई टूटने लगी है
चाहते कहीं रूठने लगा है।
इस दीवारों में हम कैद ना होते।
बिछड़े हम अपने ही रूह से, हमें दूर सा लगने लगा है
आंखो पर निसान पड़ने लगे है।
बेवफा देखा है फिर एक बार मुड़ कर।
अब मरने से डर सा लगने लगा है।।
आंखो पर निसान पड़ने लगे है।
आसुओं से काजल बहने लगा है।
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