...

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तेरे शहर से मुझे लौटाया गया है
कितनी मर्तबा तेरे शहर से
मुझे लौटाया गया है,
पर ऐसा नही कि भूलकर,
फिर ना दोहराया गया है...

साँसें उलझ के रह गये मुझमें,
जितनी बार मुझ को
ज़िन्दा बताया गया है...

दर्द आहिस्ते आहिस्ते रिसते रहे,
तमाम मरहमों का फिर
मुझ से हिसाब लगाया गया है....


@kuch_lafz #writco #WritcoQuote #Kitna #miscellaneous #Shayari
© kriti trip