...

149 views

मुकम्मल कुछ नही है
iउसे चाहा तो ये लगा मोहब्बत ही सब कुछ है
पर जब उसे परखा तो जाना मोहब्बत कुछ नहीं है

जिसे छोड़कर जाना हो वो फिर छोड़ जाता है
जो लम्हा मिल गया जी लो, रियाज़त कुछ नहीं है

थके हारे मुसाफ़िर भी बार- बार चले मंजिल की ओर
पर यहाँ तो हर मंजिल अधूरी है, मुकम्मल कुछ नहीं है

ज़िन्दगी से कभी हार मिली, तो कभी हौसला बढ़ाया
कभी बेरंग नज़र आती, किसी की मुकम्मल हुई ही नहीं है

न जाने कितने ख्वाहिशों को लिए बैठे है कि कभी पूरी होगी
पर यहाँ हर एक दास्ताँ अधूरी है, ज़िन्दगी तू मुकम्मल नहीं है

s perplexing you towards the end of the race,
In a lonely, stony location,
Because the missing piece is bonded in a certain place,
In a faraway, poison-free constellation,