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घनाक्षरी
घनाक्षरी "मनहरण कवित छंद"


चांद से चकोरी मिले, चांदनी सी गोरी मिले !
चंचल की जोड़ी बने, बने राधे श्याम सी!!

काले-काले नैना राखे, काले केशा होवे बाके!
कोयली सी धुन होवे, होवे सीताराम सी!!

रंग बरसाने वाली , रंग -रंग जाने वाली!
राधे जैसी मतवाली,होवे रतिकाम सी,

मंद-मंद मीठी मीठी, मेरा मन मोहने की! मोहन सी बांसुरी हो,होवे ऐसी धाम सी !!


- जितेन्द्र कुमार सरकार