...

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आफ़ताब बदल देता शायद!
इस शब-भर को ये आफ़ताब बदल देता शायद,
या फिर उसकी रौशनी में शब न दिखता शायद।

किसी शब में ज़िद्दी का ख़्याल भी होता शायद,
कभी-किसी में शब भी तवील हो सकता शायद।

ना फ़हम रखो कि इस...