...

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आज तुझे आराम देता हूँ….
चल आज तुझे मैं आराम देता हूँ,
इसी बहाने ख़ुद को कोई काम देता हूँ…
कठिन है पर मुमकिन नहीं है सच में,
मैं आज अपनी कोशिश को इम्तिहान देता हूँ…
चल आज तुझे मैं आराम देता हूँ…

अक्सर रोज़ ही मोहब्बत हो जाती है तुमसे,
मुझे बड़ा अच्छा लगता है जब तू रूठ जाती है मुझसे !
मनाने में ही असली मज़ा है तुम क्या जानो,
जब तू एक दाम आकर लिपटती है मुझसे…
और फिर मैं अपनी साँसों को विराम देता हूँ…
चल आज तुझे मैं आराम देता हूँ…

जैसे किसी नशे को छोड़ना बहुत ही है मुश्किल,
वैसे ही मैं तुझको देखकर हमेशा रहता हूँ खुशदिल…
चल आज देखते हैं दूरी में और मजबूरी में क्या मज़ा है।
आज महसूस करते हैं मोहब्बत करने की क्या सज़ा है।
आसुओं को भी गिरने का एक पैग़ाम देता हूँ…
चल आज तुझे मैं आराम देता हूँ…

कि तूँ मुझसे और मैं तुझसे कभी खफ़ा नहीं होते,
हमारे सपने भी कभी एक दूसरे से बेवफ़ा नहीं होते…
चल “ज़िंद” बात यह भी आज निभाकर देखते हैं,
कैसी होती है इश्क़ की तपस आज उसे सेंकते है…
फ़िक्र क्यो करना कल सुबह को कोई नाम देता हूँ…
चल आज तुझे मैं आराम देता हूँ…


#जलते_अक्षर

© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻