...

5 views

कहा तक़ ठीक हैं
दिल की बात
सुनाने का मज़ा भी...
तभी हैं ज़ब सामने. सुनने वाला भी
दिल वाला हो.
अभी तो हम खुद ही खुद से बतियाते हैं. और
यु घुटते रहना भी आखिर..
कहा तक़ ठीक हैं ?