...

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विरह और विराम
उसकी आँखों में बसा था अद्भुत उत्साह,
पर कलम के सामने हुआ था अटूट विराम।

ज़हन में उम्मीदों की ज्योति थी जलती,
पर कविता की सृजन बस विचारों में ही फंसी रहती।

अरसों बाद उन हाथों ने कलम उठाया,
बरसों...